बदले में बेवफाई के वफ़ा करती हूँ मैं हर रोज नये ज़ | हिंदी Shayari Vid

"बदले में बेवफाई के वफ़ा करती हूँ मैं हर रोज नये ज़ख्म की दवा करती हूँ थक चुकी हूँ मगर हारी नहीं मैं हर बात खुदा को बयां करती हूं उन्हें मालूम नहीं अंजाम ए हश्र मैं दुश्मन के लिए भी जीने की दुआ करती हूं ____!! ©Pooja Suthar "

बदले में बेवफाई के वफ़ा करती हूँ मैं हर रोज नये ज़ख्म की दवा करती हूँ थक चुकी हूँ मगर हारी नहीं मैं हर बात खुदा को बयां करती हूं उन्हें मालूम नहीं अंजाम ए हश्र मैं दुश्मन के लिए भी जीने की दुआ करती हूं ____!! ©Pooja Suthar

#Wo

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