तेरी यादों की गलियों से हर शाम गुज़रता हूं...
दिल को थाम कर तेरे ख्यालों में खो जाता हूं...
सांस लेता हूं तो कुछ तेरी ख़ुशबू आती है..
बहकी-बहकी सी हर एक शाम होती है...
तेरे दीदार को तरसता हूं,
ना तेरी झलक दिखाई देती है,
ना मन की प्यास मिटती है,
मगर दिल तेरे ख्यालों में खोया रहता है ...
मुझे भी पता है तु भी तो जलती रहती है..
मेरे दीदार को तु भी तरसती रहती है..
कुछ आहें भरता हूं तो तेरी ख़ुशबू आती है..
ये बहकी बहकी सी हर शाम होती है...
©Raj Alok Anand
#teri_gali