भगवान शिव की महिमा धरती के श्रृंगार को बढ़ाते, घन | हिंदी कविता Video

"भगवान शिव की महिमा धरती के श्रृंगार को बढ़ाते, घनश्याम रंग से सजाते। नीलकंठ महादेव, भोले भंगारे, सृष्टि के सारे धर्मों के अधिपति विश्वकारे। नागेंद्र वाहन पर सवार, गंगा ज्योति से जगत को उजियार। त्रिशूल धारी, कामदहनी धरे, संहारक रूप में विश्व को हरे। ध्यान में लगे जिसके मन, उसके शोक सभी दूर हो जाते वहाँ। करुणा के सागर भगवान शिव, भक्तों की रक्षा हर पल करते विचित्र। कैलाश पर्वत पर विराजते, देवों के संग नाचते गाते। अर्धनारीश्वर रूप धरे, युगों तक रहे सभी के दिलों में बसे। भोलेनाथ के भक्त बने, भव सागर से पार पाए। दुखों की धूप बन जाए सावर, जीवन के सारे दुख हो जाए दूर। महाकाल तू है अमर अविनाशी, त्रिगुणात्मक सृष्टि के स्वामी। कर्म बंधन से मुक्ति का दाता, भक्तों के मन की करता है ख्वाहिश पूरी। हर हर महादेव, शंकर भोलेनाथ, जय हो भगवान तुम्हारे नाम जप। सभी दुखों का हरण करो, भक्तों की रक्षा करो सदा।। ©Narendra Negi "

भगवान शिव की महिमा धरती के श्रृंगार को बढ़ाते, घनश्याम रंग से सजाते। नीलकंठ महादेव, भोले भंगारे, सृष्टि के सारे धर्मों के अधिपति विश्वकारे। नागेंद्र वाहन पर सवार, गंगा ज्योति से जगत को उजियार। त्रिशूल धारी, कामदहनी धरे, संहारक रूप में विश्व को हरे। ध्यान में लगे जिसके मन, उसके शोक सभी दूर हो जाते वहाँ। करुणा के सागर भगवान शिव, भक्तों की रक्षा हर पल करते विचित्र। कैलाश पर्वत पर विराजते, देवों के संग नाचते गाते। अर्धनारीश्वर रूप धरे, युगों तक रहे सभी के दिलों में बसे। भोलेनाथ के भक्त बने, भव सागर से पार पाए। दुखों की धूप बन जाए सावर, जीवन के सारे दुख हो जाए दूर। महाकाल तू है अमर अविनाशी, त्रिगुणात्मक सृष्टि के स्वामी। कर्म बंधन से मुक्ति का दाता, भक्तों के मन की करता है ख्वाहिश पूरी। हर हर महादेव, शंकर भोलेनाथ, जय हो भगवान तुम्हारे नाम जप। सभी दुखों का हरण करो, भक्तों की रक्षा करो सदा।। ©Narendra Negi

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