शीर्षक - संगम तट
धरा पर अविरल निर्झर गंगा प्रवाह हो रही है
सुमधुर सुन्दर सुखकर, अलौकिक तेज दिख रही है
तेरे यादो में आंखों से बहती अश्रु दो चार बुंद मिल रही है
गंगा के जैसे कई संगम तट है क्या तेरे भी है कोई..?
संगम के तीरे कई तीर्थ स्थान भी मिलाते हैं,
साधुओं की पोशाक में विभक्त भक्त भी मिलाते हैं
कामनाएं, इच्छाएं, और अवसादों से भरे मन भी मिलाते है
तो क्या मेरे दिल औ जिव्हा की एक दो शौहरत मिलेंगे..?
©Dev Rishi
#संगम तीरे