वो जो हर रोज़ नये ख्वाब सजाता है मेरे वो नहीं जानत | हिंदी Shayari

"वो जो हर रोज़ नये ख्वाब सजाता है मेरे वो नहीं जानता की नींद में डर जाता हूं मैं जिस कहानी को बड़े शौक से पढ़ते हो ना तुम उस कहानी के तो आखिर में मर जाता हूं मैं ©Ravi Gupta"

 वो जो हर रोज़ नये ख्वाब सजाता है मेरे 
वो नहीं जानता की नींद में डर जाता हूं मैं 

जिस कहानी को बड़े शौक से पढ़ते हो ना तुम 
उस कहानी के तो आखिर में मर जाता हूं मैं

©Ravi Gupta

वो जो हर रोज़ नये ख्वाब सजाता है मेरे वो नहीं जानता की नींद में डर जाता हूं मैं जिस कहानी को बड़े शौक से पढ़ते हो ना तुम उस कहानी के तो आखिर में मर जाता हूं मैं ©Ravi Gupta

#कहानी#

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