ठहेरा हूवा पाणी था मै गेहराई भी बहूत थी मेरे अंदर | हिंदी शायरी आणि गझ

"ठहेरा हूवा पाणी था मै गेहराई भी बहूत थी मेरे अंदर तुफान ने छेडा मुझे... मै लहेर बनकर... पत्थर से हर रोज टकराता रहा.. ©ganesh suryavanshi "

ठहेरा हूवा पाणी था मै गेहराई भी बहूत थी मेरे अंदर तुफान ने छेडा मुझे... मै लहेर बनकर... पत्थर से हर रोज टकराता रहा.. ©ganesh suryavanshi

#Gulzar

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