दुकान में अभी तो सारे रंग पड़े हैं
बोहनी तो हो गई सारे रंग बिकने लगे हैं
बदलते रियासत की कौन परवाह करता है
सारे रंग बाल्टी में आज घुलने लगे हैं
अंदर बाहर कोई न जाने क्या है सबके
रंग से लगे सबके सूरत बदलने लगे हैं
गांव में सूखने लगे पकके गेहूं के हर पौधे
बुरा ना मानो होली का सब कहने लगे हैं
सिल्वर पेंट कोई खरीदे रंग की पुड़िया
रंग कीचड़ से जीजा साली को भीगने लगे हैं
दारू सुट्टा पीकर सब घर से निकलने लगे
भांग कहां घूल रहा सब ढूंढने लगे हैं
कड़वी बोली का तो पता नहीं पर
आज सब मीठी बोली बोलने लगे हैं
हंसी ठिठोली मनाने लगे हैं
होली का त्यौहार मनाने लगे हैं
बुरा ना मानो होली का सब कहने लगे हैं
बुरा ना मानो होली का सब कहने लगे हैं
©Writer L B Yadav
#Holi