कभी नज़रें मिलाने का कभी नज़रें चुराने का। चले आ द | हिंदी शायरी Video

"कभी नज़रें मिलाने का कभी नज़रें चुराने का। चले आ दौर आया है दिलों से दिल मिलाने का। न इतरा तू जवानी पर ये है कुछ देर की दौलत। कभी बूढा भी मालिक था जवानी के खज़ाने का। तुम्हारी राह तकता हूँ नज़र आओ मिले राहत , रहे बेताब़ हर पल दिल तुम्हारी दीद़ पाने का। मुकाबिल हूँ खड़ा तेरे नज़र तू डाल मुझपर भी, नहीं ले सब्र का अब इम्तिहाँ पागल दीवाने का। उठाकर इश्क़ का झोला चला जाऊँगा मैं इक दिन, वहम पाले ही रखना फिर मेरे तू लौट आने का। दिलों का चोर हूँ मैं भी न ऐसे हार मानूँगा, हुनर आता है नज़रों से मुझे सुर्मा चुराने का। नशा "कश्यप" मुहब्बत का चड़ा जिस पर नहीं उतरा, नज़र के जाम पीकर तू मज़ा ले लडखडाने का । आयुष कश्यप"

कभी नज़रें मिलाने का कभी नज़रें चुराने का। चले आ दौर आया है दिलों से दिल मिलाने का। न इतरा तू जवानी पर ये है कुछ देर की दौलत। कभी बूढा भी मालिक था जवानी के खज़ाने का। तुम्हारी राह तकता हूँ नज़र आओ मिले राहत , रहे बेताब़ हर पल दिल तुम्हारी दीद़ पाने का। मुकाबिल हूँ खड़ा तेरे नज़र तू डाल मुझपर भी, नहीं ले सब्र का अब इम्तिहाँ पागल दीवाने का। उठाकर इश्क़ का झोला चला जाऊँगा मैं इक दिन, वहम पाले ही रखना फिर मेरे तू लौट आने का। दिलों का चोर हूँ मैं भी न ऐसे हार मानूँगा, हुनर आता है नज़रों से मुझे सुर्मा चुराने का। नशा "कश्यप" मुहब्बत का चड़ा जिस पर नहीं उतरा, नज़र के जाम पीकर तू मज़ा ले लडखडाने का । आयुष कश्यप

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