एक दोहा मै अपको याद दिलाना चाहता हुं
कबीर दास जी का, जो कहते हैं...
"निन्दक नियरे राखिये,आंगन कुटी छबाय
बिन पानी साबुन बिना,निर्मल करे सुभाय..!!"
इसका अर्थ यह है कि अपने करीबी प्रतिरोधी निन्दा
करने वाले को करीब रखना उत्तम है,
बल्कि उससे जो आपकि प्रसंन्शा करता हो,
मीठे मीठे बोल बोलता हो..
कुकी जब तक निन्दा नही होगी,
तब तक सुधार खुद मे सम्भव नही,
उस समय बिना क्रोध उस पर किये बगैर
कार्य मे जुट जाये और उसे करके दिखाये,
बातो मे झगड़ कर कुछ हासिल नहि होगा..
बल्कि उस समय उसे मै कमजोर दिखू..!
कुछ भी कार्य करने के अयोग्य दिखू..!!
©HARSH369
#निंदक के पास जाते रहिए..!!
#विचार