2122 1212 22/112 हौसला दे खुदा जुदाई का ये ह | हिंदी कविता

"2122 1212 22/112 हौसला दे खुदा जुदाई का ये है ताना हमें खुदाई का टूटते फूल शाखों से अब तो कहना जो कर रहे बुराई का इश्क़ का हाल एसा भी होगा चार कागज़ पड़ा छपाई का ये नहीं हो सके तो फिर क्या है फैसला हो गया वफ़ाई का डूब जाने अगर दिया होता सौदा होता न मुँह छुपाई का दर्द तुमने "ज़ुबैर" क्या देखे देखा बस फ़ैसला तबाई का लेखक - ज़ुबैर खान........✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN"

 2122 1212 22/112
हौसला  दे  खुदा  जुदाई  का
ये   है  ताना  हमें  खुदाई का

टूटते फूल शाखों  से अब तो
कहना जो कर रहे  बुराई का

इश्क़  का  हाल एसा भी होगा
चार  कागज़   पड़ा छपाई का

ये नहीं हो सके तो फिर क्या है
फैसला  हो  गया  वफ़ाई   का

डूब   जाने   अगर दिया  होता
सौदा  होता न  मुँह छुपाई का

दर्द  तुमने "ज़ुबैर" क्या   देखे
देखा बस फ़ैसला  तबाई  का

लेखक - ज़ुबैर खान........✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

2122 1212 22/112 हौसला दे खुदा जुदाई का ये है ताना हमें खुदाई का टूटते फूल शाखों से अब तो कहना जो कर रहे बुराई का इश्क़ का हाल एसा भी होगा चार कागज़ पड़ा छपाई का ये नहीं हो सके तो फिर क्या है फैसला हो गया वफ़ाई का डूब जाने अगर दिया होता सौदा होता न मुँह छुपाई का दर्द तुमने "ज़ुबैर" क्या देखे देखा बस फ़ैसला तबाई का लेखक - ज़ुबैर खान........✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

हौसला

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