ए अंधेरे ये भ्रम निकाल फेंक अपने मन से की मैं अब तुझसे डरता हूं। बचपन में डराकर तूने चैन छीन लिया था । अब चैन से सोता हूं, तूझे बैचेन करके। अब रातें मीठी दिन कड़वा लगता है। पहले सोचता था की दिन कब होगा,अब सोचता हूं रात कब होगी।
:–लारा😘
©राजकुमार वर्मा (#लारा)
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