तन्हाई में जब लिखता हूं कोई ग़ज़ल,
उस ग़ज़ल में उसका नाम लिखता हूं.........
ग़ज़ल में अपनी खुशियां और ग़म,
थोड़े नहीं हमेशा ही तमाम लिखता हूं.........
ग़ज़ल कलम से काग़ज़ पर उतरती है,
तो ग़ज़ल मे उसका नाम लिखता हूं...........
उसके हिस्से खुशी की सहर लिखकर,
अपने हिस्से ग़मों की शाम लिखता हूं.........
©Poet Maddy
तन्हाई में जब लिखता हूं कोई ग़ज़ल,
उस ग़ज़ल में उसका नाम लिखता हूं.........
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