टूटने बिखरने कि कहानी कहे न कहे
किस्सा तेरा अपनी जुबानी कहे न कहे
फिक्र आबरू की थी वरना उनको
हम अब जान हमारी कहें न कहें
सबसे रूठें तो कहां जाना चाहिए
घर है ज़हनुम यानी कहें न कहें
मिलती नहीं ख़ाक ए बदन मिटी से
क़ब्र सज़ा ए दानी कहें न कहें
दूरियां है मगर रिश्ता सा तो है
रहती आँखों मे पानी कहें न कहें
©Akhilesh Ray
#hibiscussabdariffa