ख़्वाबों के उफ़ुक़ पर तिरा चेहरा हो हमेशा और मैं उ | हिंदी शायरी Video

"ख़्वाबों के उफ़ुक़ पर तिरा चेहरा हो हमेशा और मैं उसी चेहरे से नए ख़्वाब सजाऊँ ... हम ने उस को इतना देखा जितना देखा जा सकता था लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था ... दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है ... यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ ©Sayyad "

ख़्वाबों के उफ़ुक़ पर तिरा चेहरा हो हमेशा और मैं उसी चेहरे से नए ख़्वाब सजाऊँ ... हम ने उस को इतना देखा जितना देखा जा सकता था लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था ... दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है ... यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ ©Sayyad

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