सब कुछ पहले जैसा ही है,
बस मैं थोड़ा बदल चुका हूँ।
आपके मतलबी व्यवहारों से,
भलीभांति परिचित हो चुका हूँ।
व्यर्थ में समय नष्ट क्यों करना,
यह सबक मैं सिख चुका हूँ।
आपके जैसे स्वार्थी लोगों से,
मैं रिश्ता रखना छोड़ चुका हूँ।
पता है आपको बहुत बुरा लगेगा,
जवाब देना जो मैं सिख चुका हूँ।
अब मुझे किसी की परवाह नही,
मतलबी रिश्तों से मैं जो थक चुका हूँ।
©Govind Kumar Sharma
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