शायरी खुदखुशी का धंधा है अपनी ही लाश अपना ही कंधा

"शायरी खुदखुशी का धंधा है अपनी ही लाश अपना ही कंधा है आईना बेचता फिरता है नासिर उस शहर में जो शहर खुद ही अंधा है ©MOHAMMED NASIR HUSSAIN"

 शायरी खुदखुशी का धंधा है 
अपनी ही लाश अपना ही कंधा है 
आईना बेचता फिरता है नासिर 
उस शहर में जो शहर खुद ही अंधा है

©MOHAMMED NASIR HUSSAIN

शायरी खुदखुशी का धंधा है अपनी ही लाश अपना ही कंधा है आईना बेचता फिरता है नासिर उस शहर में जो शहर खुद ही अंधा है ©MOHAMMED NASIR HUSSAIN

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