इन हसरतों की भीङ मे हमनवा मिले हम अब यहाँ मिले न | हिंदी शायरी

"इन हसरतों की भीङ मे हमनवा मिले हम अब यहाँ मिले न मिले तो कहाँ मिले ख्वाहिश थी बहोत जिनकी हमे वो कहां मिले जितने भी मिले दोस्त हमे बेवफा मिले वकील अहमद रज़ा..... ©waqil ahmad raza"

 इन हसरतों की भीङ मे हमनवा मिले 
हम अब यहाँ मिले न मिले तो कहाँ मिले
ख्वाहिश थी बहोत जिनकी हमे वो कहां मिले 
जितने भी मिले दोस्त हमे बेवफा मिले

वकील अहमद रज़ा.....

©waqil ahmad raza

इन हसरतों की भीङ मे हमनवा मिले हम अब यहाँ मिले न मिले तो कहाँ मिले ख्वाहिश थी बहोत जिनकी हमे वो कहां मिले जितने भी मिले दोस्त हमे बेवफा मिले वकील अहमद रज़ा..... ©waqil ahmad raza

#Aasmaan

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