तमन्नाओं का शहर था जहां कभी वहां ख्वाबों का महल था | हिंदी Shayari

"तमन्नाओं का शहर था जहां कभी वहां ख्वाबों का महल था कभी आज अरमानों की चिता जल रही है जहां वहां कुछ आरजू धुआं बन गए तो कुछ ख्वाहिशें राख बन गए... ©Ramesh"

 तमन्नाओं का शहर था जहां कभी
वहां ख्वाबों का महल था कभी

आज अरमानों की चिता जल रही है जहां

वहां कुछ आरजू धुआं बन गए 
तो कुछ ख्वाहिशें राख बन गए...

©Ramesh

तमन्नाओं का शहर था जहां कभी वहां ख्वाबों का महल था कभी आज अरमानों की चिता जल रही है जहां वहां कुछ आरजू धुआं बन गए तो कुछ ख्वाहिशें राख बन गए... ©Ramesh

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