काले होकर उम्मीद जगाते हो, घने होकर सूरज चांद को | मराठी कविता

"काले होकर उम्मीद जगाते हो, घने होकर सूरज चांद को छुपाते हो फट जाते तो प्रलय मचाते हो नीले आकाश में दही सा जमाते हो ©Anil Sharma"

 काले होकर उम्मीद जगाते हो,


घने होकर सूरज चांद को छुपाते हो


फट जाते  तो प्रलय मचाते हो


नीले आकाश में दही सा जमाते हो

©Anil Sharma

काले होकर उम्मीद जगाते हो, घने होकर सूरज चांद को छुपाते हो फट जाते तो प्रलय मचाते हो नीले आकाश में दही सा जमाते हो ©Anil Sharma

#badal

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