कभी ख़त्म नहीं होता ये ख्वाहिशों का सिलसिला दिन-ब- | हिंदी शायरी

"कभी ख़त्म नहीं होता ये ख्वाहिशों का सिलसिला दिन-ब-दिन मन में बड़ता रहता है ये जलज़ला। ख्वाहिशें सबकी बेमिसाल है इन पर रोक लगाना किसी की ना बस की बात है। मैंने पूछा - कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा मेरे मन ने कहां - जब तक तू सांसे लेता रहेगा।"

 कभी ख़त्म नहीं होता ये ख्वाहिशों का सिलसिला
दिन-ब-दिन मन में बड़ता रहता है ये जलज़ला।
ख्वाहिशें सबकी बेमिसाल है 
इन पर रोक लगाना किसी की ना बस की बात है।
मैंने पूछा - कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा
मेरे मन ने कहां - जब तक तू सांसे लेता रहेगा।

कभी ख़त्म नहीं होता ये ख्वाहिशों का सिलसिला दिन-ब-दिन मन में बड़ता रहता है ये जलज़ला। ख्वाहिशें सबकी बेमिसाल है इन पर रोक लगाना किसी की ना बस की बात है। मैंने पूछा - कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा मेरे मन ने कहां - जब तक तू सांसे लेता रहेगा।

ख्वाहिशों का सिलसिला💫

कभी ख़त्म नहीं होता ये ख्वाहिशों का सिलसिला
दिन-ब-दिन मन में बड़ता रहता है ये जलज़ला।
ख्वाहिशें सबकी बेमिसाल है
इन पर रोक लगाना किसी की ना बस की बात है।
मैंने पूछा - कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा
मेरे मन ने कहां - जब तक तू सांसे लेता रहेगा।

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