जाम छलकने दे साखी मैं खाने में झूम कर यारों की महफ | हिंदी शायरी

"जाम छलकने दे साखी मैं खाने में झूम कर यारों की महफिल में आज मेरा यार बैठा है टूटती है बोतले तो आज टूटने दे बरसों के बाद मेरा यार साथ बैठा है ©अमित कश्यप"

 जाम छलकने दे साखी मैं खाने में झूम कर
यारों की महफिल में आज मेरा यार बैठा है
टूटती है बोतले तो आज टूटने दे
बरसों के बाद मेरा यार साथ बैठा है

©अमित कश्यप

जाम छलकने दे साखी मैं खाने में झूम कर यारों की महफिल में आज मेरा यार बैठा है टूटती है बोतले तो आज टूटने दे बरसों के बाद मेरा यार साथ बैठा है ©अमित कश्यप

मेरा यार

People who shared love close

More like this

Trending Topic