मद्धम से धड़कनों की धीमी आवाज हूं मैं । खामोश हो चुका जो गुजरा वो साज हूं मैं । धुनों से बेखबर न राग का कोई असर मुझ पे , सरगोशियों में सिमटा पोशीदा राज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों ......। कई नज्मों से हूं लिपटा कई शायर के लब पर था , दफन आंगन में जो तेरे वही अल्फाज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों .....।। [ravi]
©Ravi Ranjan Kumar Kausik
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