मद्धम से धड़कनों की धीमी आवाज हूं मैं । खामोश हो च | हिंदी शायरी

"मद्धम से धड़कनों की धीमी आवाज हूं मैं । खामोश हो चुका जो गुजरा वो साज हूं मैं । धुनों से बेखबर न राग का कोई असर मुझ पे , सरगोशियों में सिमटा पोशीदा राज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों ......। कई नज्मों से हूं लिपटा कई शायर के लब पर था , दफन आंगन में जो तेरे वही अल्फाज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों .....।। [ravi] ©Ravi Ranjan Kumar Kausik"

 मद्धम से धड़कनों की धीमी आवाज हूं मैं । खामोश हो चुका जो गुजरा वो साज हूं मैं । धुनों से बेखबर न राग का कोई असर मुझ पे , सरगोशियों में सिमटा पोशीदा राज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों ......। कई नज्मों से हूं  लिपटा कई शायर के लब पर था , दफन आंगन में जो तेरे वही अल्फाज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों .....।।    [ravi]

©Ravi Ranjan Kumar Kausik

मद्धम से धड़कनों की धीमी आवाज हूं मैं । खामोश हो चुका जो गुजरा वो साज हूं मैं । धुनों से बेखबर न राग का कोई असर मुझ पे , सरगोशियों में सिमटा पोशीदा राज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों ......। कई नज्मों से हूं लिपटा कई शायर के लब पर था , दफन आंगन में जो तेरे वही अल्फाज हूं मैं ।। मद्धम से धड़कनों .....।। [ravi] ©Ravi Ranjan Kumar Kausik

#मद्धम सी धड़कन@Shilpa yadav PФФJД ЦDΞSHI @Priya @Nitish Tiwary @Jonee Saini

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