कलम सखे फिर चल पड़ी, लिखने को नव छंद ! नजर बही पे ज़ | हिंदी कविता

"कलम सखे फिर चल पड़ी, लिखने को नव छंद ! नजर बही पे ज़ब पड़ी, लिख दी उधार बंद !! स्वरचित ✍️ ॐ प्रकाश सहारे ©Omprakash Sahare"

 कलम सखे फिर चल पड़ी,
लिखने को नव छंद !
नजर बही पे ज़ब पड़ी,
लिख दी उधार बंद !!

स्वरचित
✍️ ॐ प्रकाश सहारे

©Omprakash Sahare

कलम सखे फिर चल पड़ी, लिखने को नव छंद ! नजर बही पे ज़ब पड़ी, लिख दी उधार बंद !! स्वरचित ✍️ ॐ प्रकाश सहारे ©Omprakash Sahare

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