बड़ा लम्बा सफर था शहर का तुम्हारे
जब मालूम हुआ, ये ख़यालात अखिरी थी
बड़ा बेबस होके लौटा था, उस दिन मै
जब मालूम हुआ,ये मुलाक़ात आखिरी थी
बेवफाई से ज्यादा मुझे बिछड़ने का गम था
जब मालूम हुआ, ये वारदात आखिरी थी
तुम्हारी ख़ुशी में भी, सरीक न हो पाया मै
जब मालूम हुआ, ये फरहात आखिरी थी
आधी रात बीजी हो,ये पूछकर पछतावा हुआ
जब मालूम हुआ, ये तहकीकात आखिरी थी
©Shivam Agrahari (Barfi)
बड़ा लम्बा सफर था शहर का तुम्हारे
जब मालूम हुआ, ये ख़यालात अखिरी थी
बड़ा बेबस होके लौटा था, उस दिन मै
जब मालूम हुआ,ये मुलाक़ात आखिरी थी
बेवफाई से ज्यादा मुझे बिछड़ने का गम था
जब मालूम हुआ, ये वारदात आखिरी थी