कितने रूठे होंगे ,कितने टूटेंगे, वो जो सिसक रहे थे | हिंदी Video

"कितने रूठे होंगे ,कितने टूटेंगे, वो जो सिसक रहे थे कितने बिखरें होंगे। अब बंधन से बन-ठन वो जो सजते होंगे, न जाने वो केसे उभरें होंगे।। नभ पर नव पर लेके उड़ते होंगे, न जाने वो पिंजरा कैसे भूले होंगे। बहाल हुए होंगे क्या अब, क्या अब फिर से वो कैदी होंगे।। चौराहे पर चटका कर फेंका था, नग्न नहीं बस तन उसका ,चौराहे को नंगा फेका था। जल गये थे ख्वाब जो कच्चे थे, कच्चे धागे को कांटों कि आरी ने तोड़ा था।। छलक गये नभ के आंसू, मानो जल भी रोया था। कोंपल कल्पित पुष्पों को, बेरहमी से तोड़ा था।। टूटे घट के पानी सा अब भी छलक रहे होंगे, वो तो नातो से नाता करना भूल गये होंगे। बेरहम था दिन जो रात बन गया, देखो पुष्पों से राख बन गया।। कैसे हो हाल पूंछ नहीं सकता, बातों से घाव नहीं भरता। खैर खैरियत मेंरी पूछो, पर फिर मैं गैर नहीं लगता ।। ©satyamvachan"

कितने रूठे होंगे ,कितने टूटेंगे, वो जो सिसक रहे थे कितने बिखरें होंगे। अब बंधन से बन-ठन वो जो सजते होंगे, न जाने वो केसे उभरें होंगे।। नभ पर नव पर लेके उड़ते होंगे, न जाने वो पिंजरा कैसे भूले होंगे। बहाल हुए होंगे क्या अब, क्या अब फिर से वो कैदी होंगे।। चौराहे पर चटका कर फेंका था, नग्न नहीं बस तन उसका ,चौराहे को नंगा फेका था। जल गये थे ख्वाब जो कच्चे थे, कच्चे धागे को कांटों कि आरी ने तोड़ा था।। छलक गये नभ के आंसू, मानो जल भी रोया था। कोंपल कल्पित पुष्पों को, बेरहमी से तोड़ा था।। टूटे घट के पानी सा अब भी छलक रहे होंगे, वो तो नातो से नाता करना भूल गये होंगे। बेरहम था दिन जो रात बन गया, देखो पुष्पों से राख बन गया।। कैसे हो हाल पूंछ नहीं सकता, बातों से घाव नहीं भरता। खैर खैरियत मेंरी पूछो, पर फिर मैं गैर नहीं लगता ।। ©satyamvachan

बलात्कार के पश्चात्
#Nojotovoice

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