बहुत सोचा समझा पर ज़वाब कोई मिला नही नींद से जागा | हिंदी शायरी

"बहुत सोचा समझा पर ज़वाब कोई मिला नही नींद से जागा तो यहाँ असल ख्वाब कोई मिला नही मैं चमेली ही ले आया तुम्हारे ख़ातिर बहुत ढूँढा पर गुलाब कोई मिला नही बहुत से सहर घुम कर देखें हैं मैंने पर दिली सा खराब नहीं मिला कोई मैं जुर्म का इल्जाम लगा देता किसी पे मगर यहाँ इंसान गरीब नही मिला कोई तुमने आज अपनी बहो में भरा तो पता लगा तुम्हारे जितना मुझसे करीब नही मिला कोई सुना था तुम तक आने के रास्ते कई सारे हैं तुम्हारे घर आया पर वहाँ बाब नही मिला कोई ©Abhishek Singh"

 बहुत सोचा समझा पर ज़वाब कोई मिला नही 
नींद से जागा तो यहाँ असल ख्वाब कोई मिला नही

मैं चमेली ही ले आया तुम्हारे ख़ातिर
बहुत ढूँढा पर गुलाब कोई मिला नही

बहुत से सहर घुम कर देखें हैं मैंने
पर दिली सा खराब नहीं मिला कोई

मैं जुर्म का इल्जाम लगा देता किसी पे
मगर यहाँ इंसान गरीब नही मिला कोई

तुमने आज अपनी बहो में भरा तो पता लगा
तुम्हारे जितना मुझसे करीब नही मिला कोई 

सुना था तुम तक आने के रास्ते कई सारे हैं
तुम्हारे घर आया पर वहाँ बाब नही मिला कोई

©Abhishek Singh

बहुत सोचा समझा पर ज़वाब कोई मिला नही नींद से जागा तो यहाँ असल ख्वाब कोई मिला नही मैं चमेली ही ले आया तुम्हारे ख़ातिर बहुत ढूँढा पर गुलाब कोई मिला नही बहुत से सहर घुम कर देखें हैं मैंने पर दिली सा खराब नहीं मिला कोई मैं जुर्म का इल्जाम लगा देता किसी पे मगर यहाँ इंसान गरीब नही मिला कोई तुमने आज अपनी बहो में भरा तो पता लगा तुम्हारे जितना मुझसे करीब नही मिला कोई सुना था तुम तक आने के रास्ते कई सारे हैं तुम्हारे घर आया पर वहाँ बाब नही मिला कोई ©Abhishek Singh

# बाब नहीं मिला कोई

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