अपनो का दिल तोड के भी जिंदा हू मैं चाह है उडने की | हिंदी Poetry

"अपनो का दिल तोड के भी जिंदा हू मैं चाह है उडने की ,पंख कटा परिंदा हू मै हालातो के आगे मोहब्बत को छोडा भलामानुष समझे वो, बेशक दरिंदा हू मै ©dhiraj"

 अपनो का दिल तोड के भी जिंदा हू मैं
चाह है उडने की ,पंख कटा परिंदा हू मै
हालातो के आगे मोहब्बत को छोडा
भलामानुष समझे वो, बेशक दरिंदा हू मै

©dhiraj

अपनो का दिल तोड के भी जिंदा हू मैं चाह है उडने की ,पंख कटा परिंदा हू मै हालातो के आगे मोहब्बत को छोडा भलामानुष समझे वो, बेशक दरिंदा हू मै ©dhiraj

#boat

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