माँ दुख और सुख का तो आना, जाना था। मां ने धनवान खु

"माँ दुख और सुख का तो आना, जाना था। मां ने धनवान खुद को, माना था।। मां से पूछा कि तेरा, धन है कहां। उसने बच्चों का सुख, बताया था।। दुनिया निर्धन मुझे, बताती है। रूप सुंदर नहीं, चिढाती है।। जाओ पूछो तुम मेरी, मां से जरा।। राजा बाबू मुझे, बताती है।। खाने पीने का त्याग, करती है। गालियां देकर याद, करती है।। जब तक रात को, ना लोटू घर। मां मेरा इंतजार, करती है।। कामयाबी तेरी का, चर्चा है। रिश्ते नातों का, लंबा परचा है।। शोहरत पाई तो कैसे, भूल गया। बूढ़ी मां का जो तुझ पर कर्ज़ा है।। चांदनी रात सब को, भाती है। कामयाबी में मस्ती, छाती है।। दुख के बादल जो सर पे,मंडराये। फिर तो बस माँ ही याद, आती हैं।। कदर उसकी जिन्हें, नहीं होती। ममता उनको भी कम, नहीं होती।। मां की कीमत तुम उनसे, पूछो जरा। जिनकी दुनिया में मां, नहीं होती।। धूप कठिनाइयां, जब मिल जाए। मां के दामन की, छांव मिल जाए।। मौत आए तो कोई, परवाह नहीं। बस तिरंगा कफन, में मिल जाए।।"

 माँ
दुख और सुख का तो आना, जाना था।
मां ने धनवान खुद को, माना था।।
मां से पूछा कि तेरा, धन है कहां।
उसने बच्चों का सुख, बताया था।।

दुनिया निर्धन मुझे, बताती है।
रूप सुंदर नहीं, चिढाती है।।
जाओ पूछो तुम मेरी, मां से जरा।।
राजा बाबू मुझे, बताती है।।

खाने पीने का त्याग, करती है।
गालियां देकर याद, करती है।।
जब तक रात को, ना लोटू घर।
मां मेरा इंतजार, करती है।।

कामयाबी तेरी का, चर्चा है।
रिश्ते नातों का, लंबा परचा है।।
शोहरत पाई तो कैसे, भूल गया।
बूढ़ी मां का जो तुझ पर कर्ज़ा है।।

चांदनी रात सब को, भाती है।
कामयाबी में मस्ती, छाती है।।
दुख के बादल जो सर पे,मंडराये।
फिर तो बस माँ ही याद, आती हैं।।

कदर उसकी जिन्हें, नहीं होती। 
ममता उनको भी कम, नहीं होती।।
मां की कीमत तुम उनसे, पूछो जरा।
जिनकी दुनिया में मां, नहीं होती।।

धूप कठिनाइयां, जब मिल जाए।
मां के दामन की, छांव मिल जाए।।
मौत आए तो कोई, परवाह नहीं।
बस तिरंगा कफन, में मिल जाए।।

माँ दुख और सुख का तो आना, जाना था। मां ने धनवान खुद को, माना था।। मां से पूछा कि तेरा, धन है कहां। उसने बच्चों का सुख, बताया था।। दुनिया निर्धन मुझे, बताती है। रूप सुंदर नहीं, चिढाती है।। जाओ पूछो तुम मेरी, मां से जरा।। राजा बाबू मुझे, बताती है।। खाने पीने का त्याग, करती है। गालियां देकर याद, करती है।। जब तक रात को, ना लोटू घर। मां मेरा इंतजार, करती है।। कामयाबी तेरी का, चर्चा है। रिश्ते नातों का, लंबा परचा है।। शोहरत पाई तो कैसे, भूल गया। बूढ़ी मां का जो तुझ पर कर्ज़ा है।। चांदनी रात सब को, भाती है। कामयाबी में मस्ती, छाती है।। दुख के बादल जो सर पे,मंडराये। फिर तो बस माँ ही याद, आती हैं।। कदर उसकी जिन्हें, नहीं होती। ममता उनको भी कम, नहीं होती।। मां की कीमत तुम उनसे, पूछो जरा। जिनकी दुनिया में मां, नहीं होती।। धूप कठिनाइयां, जब मिल जाए। मां के दामन की, छांव मिल जाए।। मौत आए तो कोई, परवाह नहीं। बस तिरंगा कफन, में मिल जाए।।

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