आज दुःखद का मंजर छाया है, पार्थिक शरीर आया है, हर | हिंदी कविता Video

"आज दुःखद का मंजर छाया है, पार्थिक शरीर आया है, हर देश वासियों के आँखों में, बस आँसू बह कर आया है। अब क्या कहें उनके माता से, एक माता के लिए शाहिद होकर आया है। बीबी भी बिलक कर रो रही, उनका पति ज़िंदा लौट के ना आया है। आज दुःखद का मंजर छाया है, पार्थिक शरीर ही बस घर आया है। ©खराब अल्फाज "

आज दुःखद का मंजर छाया है, पार्थिक शरीर आया है, हर देश वासियों के आँखों में, बस आँसू बह कर आया है। अब क्या कहें उनके माता से, एक माता के लिए शाहिद होकर आया है। बीबी भी बिलक कर रो रही, उनका पति ज़िंदा लौट के ना आया है। आज दुःखद का मंजर छाया है, पार्थिक शरीर ही बस घर आया है। ©खराब अल्फाज

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