बचपन से जो बिगड़े हैं वो अब कहाँ सुधरेंगे ! | हिंदी शायरी

"बचपन से जो बिगड़े हैं वो अब कहाँ सुधरेंगे ! हम पर जो कीचड़ उछालोगे तो कमल बन कर उबरेगे!! ©Deepak Kumar 'Deep'"

 बचपन  से जो बिगड़े  हैं 
 वो  अब  कहाँ  सुधरेंगे !

हम पर जो  कीचड़ उछालोगे 
 तो कमल बन कर उबरेगे!!

©Deepak Kumar 'Deep'

बचपन से जो बिगड़े हैं वो अब कहाँ सुधरेंगे ! हम पर जो कीचड़ उछालोगे तो कमल बन कर उबरेगे!! ©Deepak Kumar 'Deep'

#lotus

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