ज़ब लाठी की अवस्था में
पहुँच जाऊँगा
याद करुँगा गुजरे लम्हें
तरह-तरह से गले लगाऊँगा
आँखों की दीवारों पर
भूले-बिसरे चित्र सजाऊँगा
मधुर सुनहरे पलों को चखकर
मीठे फलों सा लुफ्त उठाऊँगा
ढेर लगाकर यादों की
मन के आँगन में भी बिखराऊँगा
खोया क्या और पाया क्या
इसका सही हिसाब लगाऊँगा
तब याद करुँगा, सब फुर्सत से
ज़ब लाठी की अवस्था में
पहुँच जाऊँगा
🍁विकास कुमार🍁
©Vikas Kumar Chourasia
#Khamoshi_ख़ामोशी