देखो कितना अजीब है ना,
जैसे कुछ हुआ ही नही,
सब कुछ हो रहा है वैसा,
जैसे कुछ हुआ ही नही,
कल मैं चुप था आज तुम चुप हो,
कल मैं सामने था आज तुम सामने हो,
शायद बदला न था कुछ हिस्सा भीतर,
कुछ तुम्हारे भीतर कुछ मेरे भीतर,
पर वापस मिले उसी चौराहे पे फिरसे,
जैसे कुछ हुआ ही नही।
jaise kuch hua hi nhi. #shyari