यूँ ही लोगो को जोड़ते रहना । रंग जीवन में घोलते रहन | हिंदी शायरी

"यूँ ही लोगो को जोड़ते रहना । रंग जीवन में घोलते रहना ।।१ आप रिश्ते न तोलते रहना । कुछ दुआ भी तो मांगते रहना ।।२ दूरियां रख लो चाहे जितनी तुम । बस मधुर बोल बोलते रहना ।।३ तोड़ कर कुछ सही नही होता । बाद फिर आप सोचते रहना ।।४ बाँध के प्रीत का चलें धागा । दूर से क्यूँ यूँ ताकते रहना ।।५ बाँट देगें वो मजहबों में फिर । तुम खुली आँख से देखते रहना ।।६ लौट के फिर नहीं बहे गंगा । फिर प्रखर चाहे रोकते रहना ।।७ २१/०२/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 यूँ ही लोगो को जोड़ते रहना ।
रंग जीवन में घोलते रहना ।।१

आप रिश्ते न तोलते रहना ।
कुछ दुआ भी तो मांगते रहना ।।२

दूरियां रख लो चाहे जितनी तुम ।
बस मधुर बोल बोलते रहना ।।३

तोड़ कर कुछ सही नही होता ।
बाद फिर आप सोचते रहना ।।४

बाँध के प्रीत का चलें धागा ।
दूर से क्यूँ यूँ ताकते रहना ।।५

बाँट देगें वो मजहबों में फिर ।
तुम खुली आँख से देखते रहना ।।६

लौट के फिर नहीं बहे गंगा ।
फिर प्रखर चाहे रोकते रहना ।।७

२१/०२/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

यूँ ही लोगो को जोड़ते रहना । रंग जीवन में घोलते रहना ।।१ आप रिश्ते न तोलते रहना । कुछ दुआ भी तो मांगते रहना ।।२ दूरियां रख लो चाहे जितनी तुम । बस मधुर बोल बोलते रहना ।।३ तोड़ कर कुछ सही नही होता । बाद फिर आप सोचते रहना ।।४ बाँध के प्रीत का चलें धागा । दूर से क्यूँ यूँ ताकते रहना ।।५ बाँट देगें वो मजहबों में फिर । तुम खुली आँख से देखते रहना ।।६ लौट के फिर नहीं बहे गंगा । फिर प्रखर चाहे रोकते रहना ।।७ २१/०२/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

यूँ ही लोगो को जोड़ते रहना ।

रंग जीवन में घोलते रहना ।।१


आप रिश्ते न तोलते रहना ।

कुछ दुआ भी तो मांगते रहना ।।२

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