बेजुबान पंछी था _जन्म के बाद धीरे _ धीरे उड़ान सीख | हिंदी विचार

"बेजुबान पंछी था _जन्म के बाद धीरे _ धीरे उड़ान सीख रहा था । घर आंगन में इधर _उधर फुदकते देख, हमारा दिन बीत रहा था । आज भीषण गर्मी के कारण , देखते _ देखते ही उसके प्राण पखेरू उड़ गए । मन उदास हो गया । © Rajesh vyas kavi"

 बेजुबान पंछी था _जन्म के बाद धीरे _ धीरे उड़ान सीख रहा था ।
घर आंगन में इधर _उधर फुदकते देख,
 हमारा दिन बीत रहा था  ।
आज भीषण गर्मी के कारण ,
देखते _ देखते ही उसके प्राण पखेरू उड़ गए । मन उदास हो गया ।

© Rajesh vyas kavi

बेजुबान पंछी था _जन्म के बाद धीरे _ धीरे उड़ान सीख रहा था । घर आंगन में इधर _उधर फुदकते देख, हमारा दिन बीत रहा था । आज भीषण गर्मी के कारण , देखते _ देखते ही उसके प्राण पखेरू उड़ गए । मन उदास हो गया । © Rajesh vyas kavi

गर्मी ने ली जान ___
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