इस सुनहरे गगन में
मीत अपना कोई नहीं,
प्रीत है मुझे सबसे।
पर यह मेरा गुण है
आओ तुम्हें बताता हूं
मेरा क्या दुर्गुण है।
सबसे कठिन काम यही है, भैया
गुण का बखान करे सब कोई,
दुर्गुण अपना बता ना पाए कोई।
चलो उठो जागो
इसे नवयुग के विस्तार में,
देखो कैसे जल रहा है यह युग
कैसे सुलग रहा है यह युग।
चलो चलो हम भी
इसके साथी बने,
मिटा दें उन काली रातों को
जो कर रही हैं भविष्य खराब हमारा।
सोचो सोचो सोचो
इस सुनहरे गगन में ,
मीत मेरा कोई नहीं।
🖋️AR अश्वत्थामा
#Morning