आ चमक है दिन दो-चार री
भलो हो सके तो भलो करो
जै न हूं सके तो बुरो मत करो
फुल शाखा पर था जब फुला
फुलों ने फुला न समाया
और न समाया शाखा ने जब
टूटकर गिरा जब बंजर में
हो गया जब वो खंडर
गिरा सबकी नजरो से
ना रहा वो प्यार जग में ना रहा अहंकार
ओ जग झुठो रे , एक दिन जानो राम जी रे दरबार
©Rewant ji siddh
#Ne #New #2023