गुस्से में एक पत्थर तरफ उसके जो हमने फेंका,
लाचार भरा दृश्य फिर हमने देखा।
मानो दीवारें कुछ कह रही थीं,
पर्दे में लिपटी जिंदगी कुछ अलग कह रही थीं।
नजरें उनकी बगले झाँक रही थीं,
मानो जैसे कुछ मांग रही थीं।
बर्फ सा जम गया तंग हालात देखकर,
अफसोस होने लगा पत्थर फेंककर। ।।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले
खुद की जुबानी। ।
©Santosh Verma
#mano ##