White सादर नमन
मानवता की राह में चलना होता यूं आसान नहीं,
गाली खाकर,तन बदन जलाकर चलते रहना पड़ता है,
बिना किए परवाह स्वयं की,बिन देखे छालों को अपने,
शूलों की तीखी चुभन अनवरत सहते रहना पड़ता है,
टूट चुकी उम्मीदों में भी,निष्प्राण हो चुके देहों में भी,
प्राण वायु संचरण यहां पर करते रहना पड़ता है,
ले लिया यहां जिम्मा जिसने,कठिनाई वह ही समझेगा,
करने साबित सच इस जग में लड़ते रहना पड़ता है।
अमलेन्दु शुक्ल
सिद्धार्थनगर उ०प्र०
©Amlendu Shukla
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