"कहने को कितनी बातें हैं, मगर सुनने वाला कहाँ ?
इस भीड़ में, हमें चुनने वाला कहाँ?
चुन भी ले तो, साथ कब तक चलेंगे,
सिर्फ हमारे ही साथ किस्से, कहानियां कब तक बुनेंगे ।।
कभी ना कभी, कोई और कवि मिल जाएगा,
जिसका अंदाज़ मुझसे अधिक भा जाएगा।।
तब भी क्या वो मेरे राह पे रह पाएंगे,
उन्हीं घिसे पिटे जुमलों पे वाह-वाह कह पाएंगे?
©अंKiT
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