White रंग सब बेशूमार थे..पर कोई होली तो ना थी
लम्हा था विदाई का पर सजी ,कोई डोली तो ना थी
शोर मचा रहीं है खामोशियाँ चीख चीख कर
उस एक नाम की मिश्री हवा में शायद ,घुली तो ना थी
अक़्सर अब ठिक जाती होगी नज़र तस्वीरों में
उन अनजाने रास्तों में कभी बेवजह चली तो ना थी
जो गुजरोंगे तुम कभी यादों के शहर से
एहसास होगा..इससे पहले ख़ुद से यूँ मिली तो ना थी
कोरे कागज़ पे महफ़ूज़ रहे अल्फाज़ अब तलक
क़लम से जो वो दास्तान कभी लिखी तो ना थी
कुछ तो खास होगा.इस मौसम की ख़ुमारी में
इस पतझड़ में यूँ बहार कभी ..खिली तो ना थी
@विकास
©Vikas sharma
#nightthoughts इश्क़ का शहर