मुट्ठी मे भरी रेत मुझसे सम्भलती भी नहीं की आज फ़ास

"मुट्ठी मे भरी रेत मुझसे सम्भलती भी नहीं की आज फ़ासले 2 जख के हे में क्या कहु मतलब की आशिक़ी सम्भल्ती भी नहीं! गौतम"

 मुट्ठी मे भरी रेत मुझसे सम्भलती भी नहीं 
की आज फ़ासले 2 जख के हे 
में क्या कहु मतलब की आशिक़ी सम्भल्ती 
भी नहीं! 

गौतम

मुट्ठी मे भरी रेत मुझसे सम्भलती भी नहीं की आज फ़ासले 2 जख के हे में क्या कहु मतलब की आशिक़ी सम्भल्ती भी नहीं! गौतम

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