दोहा द्वय" भगत , सुखदेव , राजगुरु , भारत माँ के ल | हिंदी Poetry

""दोहा द्वय" भगत , सुखदेव , राजगुरु , भारत माँ के लाल । देख व्यथा धरित्री की , थामी क्रांति मशाल ।। ------------------------------------------ मिटे गुलामी देश से , झुके न माँ का भाल । हँसते सूली चढ़ गये , स्वयं अचम्भित काल ।।"

 "दोहा द्वय"
भगत , सुखदेव , राजगुरु , भारत माँ के लाल ।
देख व्यथा धरित्री की , थामी क्रांति मशाल ।।
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मिटे गुलामी देश से , झुके न माँ का भाल ।
हँसते सूली चढ़ गये , स्वयं अचम्भित काल ।।

"दोहा द्वय" भगत , सुखदेव , राजगुरु , भारत माँ के लाल । देख व्यथा धरित्री की , थामी क्रांति मशाल ।। ------------------------------------------ मिटे गुलामी देश से , झुके न माँ का भाल । हँसते सूली चढ़ गये , स्वयं अचम्भित काल ।।

"दोहा द्वय"
भगत , सुखदेव , राजगुरु , भारत माँ के लाल ।
देख व्यथा धरित्री की , थामी क्रांति मशाल ।।
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मिटे गुलामी देश से , झुके न माँ का भाल ।
हँसते सूली चढ़ गये , स्वयं अचम्भित काल ।।

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