मरहम जैसी है तबस्सुम उसकी, दवा से भी ज़्यादा असर कर | हिंदी Shayari

"मरहम जैसी है तबस्सुम उसकी, दवा से भी ज़्यादा असर करती है.......... वो अब हमारी ग़ज़लों को पढ़कर, अपनी ज़िंदगी को बसर करती है........... ©Poet Maddy"

 मरहम जैसी है तबस्सुम उसकी,
दवा से भी ज़्यादा असर करती है..........
वो अब हमारी ग़ज़लों को पढ़कर,
अपनी ज़िंदगी को बसर करती है...........

©Poet Maddy

मरहम जैसी है तबस्सुम उसकी, दवा से भी ज़्यादा असर करती है.......... वो अब हमारी ग़ज़लों को पढ़कर, अपनी ज़िंदगी को बसर करती है........... ©Poet Maddy

मरहम जैसी है तबस्सुम उसकी,
दवा से भी ज़्यादा असर करती है..........
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