गलतियां की, गुनाह नहीं किया मैंने थकान पर भी पन | हिंदी Poetry

""गलतियां की, गुनाह नहीं किया मैंने थकान पर भी पनाह नहीं लिया मैंने सच के शूल फूल लग रहे हैं मुझे, इसी कारण आह नहीं किया मैंने मंजिल‌ बहुत दूर है, बताया था, राह को गुमराह नहीं किया मैंने प्रयत्न के रत्न जड़े हैं हाथों में, और कुछ चाह नहीं किया मैंने मैं तबाह हूँ, फिर भी तुम आओ न, दिल का घर तबाह नहीं किया मैंने Preeti uikye 750 03/03/24 ©Gondwana Sherni 750"

 "गलतियां की, गुनाह नहीं किया मैंने 
 थकान पर भी पनाह नहीं लिया मैंने 

 सच के शूल फूल लग रहे हैं मुझे, 
 इसी कारण आह नहीं किया मैंने 

 मंजिल‌ बहुत दूर है, बताया था, 
 राह को गुमराह नहीं किया मैंने 

 प्रयत्न के रत्न जड़े हैं हाथों में, 
 और कुछ चाह नहीं किया मैंने 

 मैं तबाह हूँ, फिर भी तुम आओ न, 
 दिल का घर तबाह नहीं किया मैंने 

Preeti uikye 750
03/03/24

©Gondwana Sherni 750

"गलतियां की, गुनाह नहीं किया मैंने थकान पर भी पनाह नहीं लिया मैंने सच के शूल फूल लग रहे हैं मुझे, इसी कारण आह नहीं किया मैंने मंजिल‌ बहुत दूर है, बताया था, राह को गुमराह नहीं किया मैंने प्रयत्न के रत्न जड़े हैं हाथों में, और कुछ चाह नहीं किया मैंने मैं तबाह हूँ, फिर भी तुम आओ न, दिल का घर तबाह नहीं किया मैंने Preeti uikye 750 03/03/24 ©Gondwana Sherni 750

#hugday दिल का घर

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