जिन रास्तों में मंजिल मिलनी थी वहां बेवफा मेहबूब | हिंदी शायरी

"जिन रास्तों में मंजिल मिलनी थी वहां बेवफा मेहबूब पाया है मैने वफाओं के शहर में धोखा बहुत खूब पाया है मैंने ©Mahesh"

 जिन रास्तों में मंजिल मिलनी थी वहां  बेवफा मेहबूब पाया है मैने

वफाओं के शहर में धोखा बहुत खूब पाया है मैंने

©Mahesh

जिन रास्तों में मंजिल मिलनी थी वहां बेवफा मेहबूब पाया है मैने वफाओं के शहर में धोखा बहुत खूब पाया है मैंने ©Mahesh

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