ख्वाहिशों के मौसम में रात दिन बसेरे थे
तितलियां तुम्हारी थीं और फूल मेरे थे
चांद आसमान से जब जमीन पे उतरता था
देखने में रातें थीं असल में सवेरे थे
तेरे साथ रहने की खाई थी कसम लेकिन
शहर भी प्यार था लोग भी लुटेरे थे
लौट गए हैं यारों तो कुसूर किसका है
ख्वाहिश भी तेरी थी फैसला भी तेरे थे
Old Memories
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