"मैं तो बन गई प्रीत तेरी, काश... तुम भी प्रेम हो | हिंदी Shayari

" "मैं तो बन गई प्रीत तेरी, काश... तुम भी प्रेम हो जाते ! सपनो की इस नगरी में, साथ ख़्वाब बन मेरे, तुम सो जाते !! इश्क़ नदी सी मैं, बह निकली, काश... तुम सागर बन जाते ! जैसे खोई मैं तुझ में, तुम भी मुझमें कहीँ, खो जाते !! बन कर अशक हँसने लगी, काश... तुम भी आँसू बन जाते ! हँसते- हँसते एक बूँद, तुम मेरे लिए रो जाते !! मैं तो ठहरी रात अँधेरी, काश... तुम चंद्रतारा बन जाते ! एक रोज़ खुद ही फिर तूम, चाँद "पूनम" का हो जाते !! बंजर दिल की धरती पर, एक बीज इश्क़ का, बो जाते ! यादो की फिर रिमझिम बारिश में, तुम इश्क़-इश्क़ हो जाते !! ©✍🏻पूनम बागड़िया "पुनीत" (दिल्ली) "मैं तो बन गई प्रीत तेरी, काश... तुम भी प्रेम हो जाते ! सपनो की इस नगरी में, साथ ख़्वाब बन मेरे, तुम सो जाते !! इश्क़ नदी सी मैं, बह निकली, काश... तुम सागर बन जाते ! जैसे खोई मैं तुझ में, तुम भी मुझमें कहीँ, खो जाते !! बन कर अशक हँसने लगी, काश... तुम भी आँसू बन जाते ! हँसते- हँसते एक बूँद, तुम मेरे लिए रो जाते !! मैं तो ठहरी रात अँधेरी, काश... तुम चंद्रतारा बन जाते ! एक रोज़ खुद ही फिर तूम, चाँद "पूनम" का हो जाते !! बंजर दिल की धरती पर, एक बीज इश्क़ का, बो जाते ! यादो की फिर रिमझिम बारिश में, तुम इश्क़-इश्क़ हो जाते !! ©✍🏻पूनम बागड़िया "पुनीत" "

"मैं तो बन गई प्रीत तेरी, काश... तुम भी प्रेम हो जाते ! सपनो की इस नगरी में, साथ ख़्वाब बन मेरे, तुम सो जाते !! इश्क़ नदी सी मैं, बह निकली, काश... तुम सागर बन जाते ! जैसे खोई मैं तुझ में, तुम भी मुझमें कहीँ, खो जाते !! बन कर अशक हँसने लगी, काश... तुम भी आँसू बन जाते ! हँसते- हँसते एक बूँद, तुम मेरे लिए रो जाते !! मैं तो ठहरी रात अँधेरी, काश... तुम चंद्रतारा बन जाते ! एक रोज़ खुद ही फिर तूम, चाँद "पूनम" का हो जाते !! बंजर दिल की धरती पर, एक बीज इश्क़ का, बो जाते ! यादो की फिर रिमझिम बारिश में, तुम इश्क़-इश्क़ हो जाते !! ©✍🏻पूनम बागड़िया "पुनीत" (दिल्ली) "मैं तो बन गई प्रीत तेरी, काश... तुम भी प्रेम हो जाते ! सपनो की इस नगरी में, साथ ख़्वाब बन मेरे, तुम सो जाते !! इश्क़ नदी सी मैं, बह निकली, काश... तुम सागर बन जाते ! जैसे खोई मैं तुझ में, तुम भी मुझमें कहीँ, खो जाते !! बन कर अशक हँसने लगी, काश... तुम भी आँसू बन जाते ! हँसते- हँसते एक बूँद, तुम मेरे लिए रो जाते !! मैं तो ठहरी रात अँधेरी, काश... तुम चंद्रतारा बन जाते ! एक रोज़ खुद ही फिर तूम, चाँद "पूनम" का हो जाते !! बंजर दिल की धरती पर, एक बीज इश्क़ का, बो जाते ! यादो की फिर रिमझिम बारिश में, तुम इश्क़-इश्क़ हो जाते !! ©✍🏻पूनम बागड़िया "पुनीत"

"मैं तो बन गई प्रीत तेरी, काश... तुम भी प्रेम हो जाते !
सपनो की इस नगरी में, साथ ख़्वाब बन मेरे, तुम सो जाते !!

इश्क़ नदी सी मैं, बह निकली, काश... तुम सागर बन जाते !
जैसे खोई मैं तुझ में, तुम भी मुझमें कहीँ, खो जाते !!

बन कर अशक हँसने लगी, काश... तुम भी आँसू बन जाते !
हँसते- हँसते एक बूँद, तुम मेरे लिए रो जाते !!

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