अंतर्मन के ज़ख्म " अंतर्मन के ज़ख्म, सूख गए रोते- | हिंदी शायरी V

"अंतर्मन के ज़ख्म " अंतर्मन के ज़ख्म, सूख गए रोते-रोते दिल के मिटे ना दाग़ आंसुओं से धोते-धोते । अब और किसी को दिखाने का मन नहीं करता, ऐसे निर्दयी बेदर्दी से काश!मिले ना होते। ©Anuj Ray "

अंतर्मन के ज़ख्म " अंतर्मन के ज़ख्म, सूख गए रोते-रोते दिल के मिटे ना दाग़ आंसुओं से धोते-धोते । अब और किसी को दिखाने का मन नहीं करता, ऐसे निर्दयी बेदर्दी से काश!मिले ना होते। ©Anuj Ray

# अंतर्मन के ज़ख्म "

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