तेरे आंखों की दबी पलकों में तन्हाईयां मालूम है मुझ | हिंदी शायरी

"तेरे आंखों की दबी पलकों में तन्हाईयां मालूम है मुझको तेरे थिरकते हुए लबों पे सिसकियां मालूम है मुझको जमाने के इस तीरगी में तेरी उदासियां देख लेता हूं तेरे बेचैन धड़कते दिलों की बेचेनियाँ मालूम है मुझको ©Dr Deep"

 तेरे आंखों की दबी पलकों में
तन्हाईयां मालूम है मुझको

तेरे थिरकते हुए लबों पे
सिसकियां मालूम है मुझको

जमाने के इस तीरगी में 
तेरी उदासियां देख लेता हूं 

तेरे बेचैन धड़कते दिलों की
बेचेनियाँ मालूम है मुझको

©Dr Deep

तेरे आंखों की दबी पलकों में तन्हाईयां मालूम है मुझको तेरे थिरकते हुए लबों पे सिसकियां मालूम है मुझको जमाने के इस तीरगी में तेरी उदासियां देख लेता हूं तेरे बेचैन धड़कते दिलों की बेचेनियाँ मालूम है मुझको ©Dr Deep

@Neetu Maurya @Neeraj Upadhyay @Urmeela Raikwar (parihar) Sahil Rana

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